उत्तराखंड

कब है तुलसी विवाह? शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

देहरादून। सनातन धर्म में तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। तुलसी का पौधा घर में रखना शुभ होता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। इसके साथ ही घर में देवी लक्ष्मी का वास भी होता है। पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास में देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम ( जो भगवान विष्णु का एक रुप) का विवाह आयोजित किया जाता है। मान्यता के अनुसार, तुलसी विवाह के दिन भक्त व्रत रखते हैं और तुलसी जी के साथ भगवान शालिग्राम की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा मंदिरों और घरों में तुलसी विवाह समारोह का आयोजन किया जाता है।
तुलसी विवाह डेट और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की द्वदशी तिथि की शुरुआत दिन मंगलवार 12 नवंबर, 2024 को शाम 4 बजकर 2 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन दिन बुधवार 13 नवंबर, 2024 को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार, इस साल तुलसी विवाह का अयोजन 13 नवंबर को किया जाएगा।
पूजा विधि
– इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें। पूजा कक्ष को साफ करें।
– इसके बाद शंख घंटी और मंत्रों का जाप करते हुए भगवान विष्णु को जगाएं। इसके बाद उनकी प्रार्थना करें। शाम को अपने घरों और मंदिरों को सजाएं।
– इसके बाद खूब सारे दीपक जलाएं। गोधूलि बेला के दौरान शालिग्राम जी और तुलसी विवाह का आयोजन करें।
– मंडप बनाएं और तुलसी जी का 16 श्रृंगार करें। शालिग्राम जी को भी गोपी चंदन व पीले कपड़े से सजाएं। अब उन्हें फूल, माला, फल, पंचामृत, धूप, दीप, लाल चुनरी, श्रृंगार की सामग्री और मिठाई भगवान को अर्पित करें।
– इसके बाद वैदिक मंत्रों का जाप करें। आरती से पूजा का समापन करें। पूजा में हुईं गलती के लिए क्षमा मांगे। इसके बाद प्रसाद का वितरण घर के सदस्यों में करें।

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