उत्तराखंड

समान नागरिक संहिता को लेकर उक्रांद ने की आवाज बुलंद

देहरादून। समान नागरिक संहिता को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल ने जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तराखंड को ज्ञापन प्रेषित किया। उक्रांद ने आरोप लगाया की समान नागरिक संहिता उत्तराखंड में राज्य के मूल निवासियों के अधिकारों पर कुठाराघात हैं।
पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज उत्तराखंड क्रांति दल के महानगर अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व उक्रांद कार्यकर्ता जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तराखंड को ज्ञापन प्रेषित किया। इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह रावत ने कहा की उत्तराखंड क्रांति दल ने कहा की राज्य सरकार देश में सर्वप्रथम समान नागरिक संहिता उत्तराखंड में लागू करने की वाहवाही लूट रही हैं, लेकिन संहिता में उल्लेख स्थायी निवासी को पात्रता हैं उससे राज्य के मूलनिवासी के अधिकारों के साथ खिलवाड़ किया हैं। ऐसा प्रतीत होता हैं कि सरकार राज्य के मूल निवासियों के अस्तित्व को समाप्त करना चाहते हैं। जिसका उत्तराखंड क्रांति दल घोर विरोध करता हैं व मांग करता हैं कि समान नागरिक संहिता में उल्लेखित अधिसूचना की 3 के (ड) की तीन, चार व पाँच बिंदु जिसमें स्थायी निवासी की पात्रता को सरल कर उल्लेख किया हैं, कि जो व्यक्ति राज्य में कम से कम एक वर्ष से निवास कर रहा हैं या राज्य सरकार या केंद्र सरकार की ऐसी योजना का लाभार्थी हैं। जो राज्य में लागू हो या केंद्र सरकार या उसके किसी उपक्रम, संस्था का ऐसा स्थायी कर्मचारी हैं जो राज्य के क्षेत्र के भीतर कार्यरत हैं। उत्तराखंड क्रांति दल उल्लेखित अधिसूचना का घोर विरोध करता हैं तथा दल का स्पष्ट मानना हैं कि राज्य के मूलनिवासियों के अधिकारों व हक़ हकुकों के साथ समान नागरिक संहिता के द्वारा किये गये खिलवाड़ को बर्दास्त नहीं करेगा। राज्य में मूलनिवासी सविंधान प्रदत सन 1950 राज्य में लागू हो की मांग करता हैं। ऐसी दशा न होने पर दल आर पार की लड़ाई के लिए जनता को लामबद्ध कर आंदोलन के लिए बाध्य होगा। ज्ञापन भेजने वालों मे कार्यक्रम महानगर अध्यक्ष विजेंद्र रावत, सुनील ध्यानी, जय प्रकाश उपाध्याय, प्रताप कुंवर, अतुल जैन, दीपक रावत, किरण रावत, अशोक नेगी, राम पाल, दीप चंद उत्तराखंडी, शकुंतला रावत, मधु सेमवाल, गुड्डी देवी प्याल, नरेश गोदियाल आदि उपस्थित रहे।

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