देहरादून

एक से अधिक नाम वाले जैन धर्म में हुए तीन तीर्थंकर : आचार्य सौरभ सागर

देहरादून। देवभूमि उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून स्थित धर्मनगरी माजरा में सकल दिगम्बर जैन समाज देहरादून 31वां श्री पुष्प वर्षा योग समिति 2025 एवं श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर, माजरा के संयुक्त तत्वावधान में नवदिवसीय जिनेन्द्र महाअर्चना आचार्य श्री 108 सौरभसागर महामुनिराज (संस्कार प्रणेता, ज्ञानयोगी एवं जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणास्रोत) के पावन सान्निध्य मे चल रहा है। श्री जी की शांति धारा करने का सौभाग्य ऋषभ जैन, राजीव जैन, प्रदीप को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर श्री जिन सहस्रनाम महामंडल विधान बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ 23 तारीख से निरंतर चल रहा है। अभिषेक, शांति धारा एवं नित्य नियम पूजन के उपरांत विधान आरंभ हुआ। विधानाचार्य संदीप जैन “सजल” (हस्तिनापुर) के मार्गदर्शन एवं इंदौर के संगीतकार विक्की एण्ड पार्टी, भोपाल की संगीतमय प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को आनंद विभोर कर किया। इस अवसर पर आचार्य श्री सौरभ सागर ने अपने प्रवचन में कहा कि संपूर्ण पूजा नाम की है नाम का बहुत महत्व है हम बोलेंगे समाज आ जाओ तो इतना महत्व नहीं होगा लेकिन व्यक्तिगत नाम का महत्व है नाम से बुलाने पर सुकून मिलता है वो कहते हैं न कि जब तक जिंदा है तब तक परिंदा है तब तक हम किसी भी डाल पर बैठ सकते हैं उठ सकते हैं जब जन्म लेते हैं तब हमारा कोई नाम नहीं होता जब मर जाते हैं तब भी नाम की कहानी खत्म हो जाती है तभी कहा जाता है की बॉडी उठाओ बॉडी ले जाओ बॉडी जलाओ तो जिंदगी का तमाम पुरुषार्थ नाम के लिए ही मानव करता है हर जगह नाम हो पहचान हो नाम से ही पहचान होती है पहले सिद्ध भगवान की पूजा होती थी अरिहंत भगवान की नहीं होती थी लेकिन आगे-आगे अरिहंत भगवान की और फिर सारे तीर्थंकरों की पूजा बनाई गई और पूजा अर्चना होने लगी। एक से अधिक नाम वाले हमारे जैन धर्म में तीन तीर्थंकर हुए हैं जिनका नाम आदिनाथ भगवान पुष्पदंत भगवान और महावीर भगवान है बाकी सब तीर्थंकर एक ही नाम वाले हैं। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मीडिया कोऑर्डिनेटर मधु जैन ने बताया कि आचार्य श्री सौरभ सागर जी महामुनिराज के सानिध्य में श्रद्धालु जन निरंतर धर्म लाभ उठा रहे हैं और बड़ी संख्या में उनके पास पहुंच रहे हैं. संध्याकालीन बेला में माजरा मन्दिर में संगीतमय गुरुभक्ति ओर महाआरती की गई। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भक्ति कर आनंद उठाया।

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