देहरादून। स्वयं संस्था की ओर से पृथ्वी दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था की उपाध्यक्ष श्रीमती मंजु सक्सेना ने बताया कि पृथ्वी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से पृथ्वी दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। स्वयं संस्था विगत उन्नीस वर्षों से समय-समय पर पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, पॉलिथीन बैग बहिष्कार एवं ऊर्जा संरक्षण आदि से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम, प्रतियोगिता, संगोष्ठी एवं वार्ता आयोजित करती रहती है।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम पृथ्वी की उदारता का ऋण कभी नहीं चुका सकते। उसी की वजह से हमारी जीवन यात्रा चल रही है। हम पृथ्वी को अपनी मां का दर्जा देते हैं। एक उत्तरदायी संतान की तरह हमें भी अपनी धरती मां की देखभाल करनी चाहिए। हमारी दिन प्रतिदिन की बढ़ती मांगों ने पृथ्वी को अस्वस्थ कर दिया है। पृथ्वी पर बढ़ते खतरे को देखते हुए इस दिन विश्व पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत सन् 1970 में हुई थी। अब तक ज्ञात सौरमंडल के सभी ग्रहों में से केवल हमारी धरती पर ही जल, पर्यावरण और वनस्पति पाई गई है। इसी वजह से पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई । आज बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये मानव लगातार पृथ्वी का दोहन कर रहा है। जिससे पृथ्वी के अस्तित्व पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। आज पृथ्वी की खराब सेहत के पीछे मानव का बड़ा हाथ है। इस धरती और उसके पर्यावरण के प्रति अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु किए गए कार्य के लिए हम सब उत्तरदायी हैं। हमे यह बात समझ लेनी चाहिए कि यदि धरती बची रहेगी तभी हम भी सुरक्षित एवं स्वस्थ रह सकते हैं। अतः पृथ्वी और उसकी प्राकृतिक संपदाओं से छेड़छाड़ के दुष्परिणाम हम सबको एक न एक दिन भुगतने पड़ेंगे। अब वक्त आ गया है कि हम बचपन से पृथ्वी के महत्व में बारे में सबको सजग करें। यह कार्यक्रम इसी दिशा में एक कदम है । दिन प्रतिदिन उत्सर्जित होने वाली विषैली गैसों से ओजोन की परत क्षतिग्रस्त होती जा रही है। ग्लेशियर धीरे धीरे पिघल रहे है। बढ़ती आबादी को बसाने के लिए पेड़ पौधे और जंगल के स्थान पर बहुमंजिली इमारतें खड़ी हो गईं हैं। समय रहते हमें समझ लेना चाहिए कि पृथ्वी और उसके सुन्दर पर्यावरण से ही पृथ्वी, हम और जीवन सुरक्षित रह सकेंगे। त्योहारों के अवसर पर खासकर दीपावाली पर वायु प्रदूषण का खतरा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण पानी के स्रोत घटते जा रहे हैं और वह प्रदूषित भी हो गए हैं। वनों के कटाव, रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं का भी सीधा असर हमारी पृथ्वी की सेहत पर पड़ रहा है। आइए हम सब इस अवसर पर संकल्प लें कि अपनी धरती से प्रेम करेंगे और उसके संरक्षण के लिए वृक्षारोपण करेंगे तथा पर्यावरण के प्रति सदैव जागरूक रहेंगे। इसके अलावा सादगी पूर्ण जीवन शैली अपनाएंगे, पानी का संरक्षण करेंगे और जैव विविधता बनाए रखने में भी पूर्ण सहयोग देंगे। हर साल पृथ्वी दिवस एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 का थीम ‘प्लेनेट वर्सेज प्लास्टिक’ है। इसका उद्देश्य सिंगल यूज प्लास्टिक को समाप्त कर उसके स्थान पर अन्य विकल्पों की तलाश पर जोर देना है। कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने पृथ्वी की सुरक्षा को लेकर अनेक प्रश्न किए। इस अवसर पर दिनेश जोशी, श्रीमती कौशल्या, श्रीमती स्नेह, श्रीमती शांति , डॉ०उमेश चन्द्र नैथानी, डॉ. कुसुम रानी नैथानी, नितिन, अभिषेक चौहान, आशीष, श्रीमती सोनाली चौधरी, श्रीमती मीना एवं विभिन्न स्कूलों के छात्र- छात्राएं आदि उपस्थित रहे।
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