उत्तराखंड

पर्यावरण की रक्षा के लिये बाँधा पेड़ो पर रक्षा सूत्र

देहरादून। अखिल भारतीय देवभूमि ब्राह्मण जन सेवा समिति ने राजधानी देहरादून मे पर्यावरण की रक्षा के लिये पेड़ो, वृक्षों पर रक्षा सूत्र बाँध कर सरकार को पर्यावरण की रक्षा के लिये चेताया। विकास के नाम पर देहरादून को लगातार विनाश की तरफ धकेलने के कार्य की कड़ी मे पुनः हज़ारो पेड़ो की बलि खलंगा वन क्षेत्र तपोवान मे चढ़ाने का कार्य किया जा रहा हैं। जिसके विरोध मे समिति द्वारा पेड़ो, वृक्षों पर रक्षा सूत्र बाँध कर पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लिया गया। ब्राह्मण समाज सदैव सर्वत्र कल्याण की कामना करता आया है। मानव के साथ-साथ पेड़, पौधे, पक्षी, वनस्पति, जल, वायु, गृह, नक्षत्र, जीवो, अग्नि आदि की रक्षा हेतु समाज को जागृत करता आया है। सब की शांति ओर कल्याण के लिए शांति पाठ प्रदान कर जन जागरण का कार्य किया। भारतीय सभ्यता संस्कृति मे साल भर के व्रत ओर त्यौहार भी इस क्रम मे है जिससे की मौसम के अनुसार प्रकृति के हर कण की रक्षा की जाये। देवभूमि उत्तराखंड जो अपने शांत और स्वच्छ वायु के वातावरण के लिए विख्यात रही उसको विकास की दौड़ के नाम पर विनाश की ओर लगातार धकेला जा रहा है। कुछ समय पहले सहस्त्रधारा रोड पर हज़ारो पेड़ो की बलि सड़क के विस्तार मे दी गई। डाट काली मंदिर के पास हज़ारो पेड़ काट प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया गया. जिसका परिणाम देहरादून नगर का आग उगलता वातावरण चीख-चीख कर कह रहा है विनाश का खेल बंद करो। 42 डिग्री तापमान की देहरादून मे कल्पना भी नहीं थी परन्तु अब लगता है की यदि विकास के नाम पर विनाश का खेल यूँही चलता रहा तो देहरादून का तापमान 50 डिग्री तक भी चला जायेगा। सरकारे नई नई योजनाओं के नाम पर लगातार पेड़ो को काट रही है परन्तु यह विचारणीय है की नए जंगल लगाने का कितना कार्य कर रही है। किसी भी योजना हेतु यदि पेड़ काटने आवश्यक है तो उन पेड़ो के सापेक्ष दसगुणा पेड़ लगाने भी आवश्यक है जिससे प्राकृतिक संतुलन को बचाया जा सके। एक तरफ सरकार खलंगा क्षेत्र मे वाटर ट्रीटमेंट योजना को स्थगित करने का संदेश दे रही है दुसरी तरफ इनके विभाग पेड़ो को चिन्हित कर उन पर निशान लगा रहे है इस दोहरे रूप के कारण पर्यावरण पर विनाश की तलवार लटकी हुई है। खलंगा मे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट जैसी विनाशकारी योजना सिर्फ स्थगित नहीं निरस्त होने तक जनजागान चलता रहेगा। जनजागरण कार्यक्रम मे समिति के संरक्षक लालचंद शर्मा, श्रीमती आभार बड़थवाल, समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार शर्मा, सचिव रूचि शर्मा, उत्तराखंड प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष एडवोकेट राजगीता शर्मा, महासचिव डॉ अजय वशिष्ठ, भारती जोशी, वासु वासिष्ठ, वसुधा वशिष्ठ रविन्द्र आनंद, पंकज सैनी, अभय उनियाल, पूजा चमोली, हिमांशु जोशी, प्रेम वालाभ चमोली, सोनिया आनंद, विचित्र शर्मा, देवाशीष गौड़, राजेश पंत आशीष शर्मा, मधु शर्मा, आचार्य डॉ राजदीप डिमरी, प्रेम खुराना, वसुधा, शिवम् रावत, यतेंद्र प्रसाद जोशी, ऊषा जोशी, विजय जोशी, सुरुचि तिवारी, विजय सिंह गुसाई, विलोचना गुसाई,डॉ राजीव गुप्ता, गोपाल सिंह, सिशंत राणा, हर्षिता रावत, मधुसूदन सुंदरियाल,अंकित, अंशुल डोबरियाल ,एशवरिय आदि सम्मलित रहे।

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