उत्तराखंड

हल्द्वानी की जेल में होगी नैनीताल दुग्ध संघ की बैठक

देहरादून, 28 जनवरी। जिस तरह से नैनीताल दुग्ध संघ की बैठक जेल के अंदर होने जा रही है उसको लेकर गरिमा मेहरा दसौनी मुख्य प्रवक्ता उत्तराखंड कांग्रेस ने चुटकी ली है।दसौनी ने कहा की धामी राज में उत्तराखंड में कई प्रकरण पहली बार हुए हैं। उसमें अभी ताजा उदाहरण खानपुर में चल रहे दो नेताओं का है और अब उत्तराखंड ही नहीं देश में शायद पहली बार यह अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिल रही है कि सहकारिता के चुनाव के मद्देनजर नैनीताल दुग्ध संघ की बैठक अब हल्द्वानी की जेल में होगी।
गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि हल्द्वानी दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा पर धारा 376 में मुकदमा चल रहा है उनके ऊपर अपनी ही एक महिला कर्मी और उसकी बच्ची के साथ दुराचार के गंभीर आरोप लगे हैं और वह पोक्सो एक्ट के अंतर्गत पिछले 4 महीने से जेल काट रहे हैं। बोरा को 25 सितंबर 2024 को एक महीना पुलिस प्रशासन से लुका छुपी करने के बाद उत्तर प्रदेश के रामपुर से दबोचा गया और तब से ही वह जेल के अंदर हैं और अब पता चला है कि वह नैनीताल दुग्ध संघ की बैठक अध्यक्ष के रूप में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में जेल के अंदर करेगा।
गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि वाकई यह पूरा प्रकरण इस बात पर मोहर लगाता है कि भाजपा है तो मुमकिन है। दसौनी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ना नैनीताल दुग्ध संघ का गुजारा और ना ही भाजपा का गुजारा मुकेश बोरा जैसे दुर्दांत अपराधियों के बगैर है। जहां एक ओर एक नाबालिग बच्ची के साथ दुराचार करने पर मुकेश बोरा का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए था और तत्काल प्रभाव से दुग्ध संघ अध्यक्ष के रूप में उसकी सेवाएं समाप्त हो जानी चाहिए थी, उसे निष्कासित हो जाना चाहिए था उस व्यक्ति का अभी तक पद पर बना रहना अपने आप में भाजपा के चाल चरित्र चेहरे को उजागर करता है। गरिमा ने कहा कि जो खानपुर में हुआ और जो अब हल्द्वानी की जेल में बोर्ड बैठक होने जा रही है उससे ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में जंगल राज व्याप्त है। कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है, सरकार और शासन का कोई डर ,भय और रसूख अपराधियों के मन में नहीं है और जो हम केवल फिल्मों में देखते आए थे वह अब साक्षात असल जिंदगी में उत्तराखंड में होने जा रहा है,जो शर्मसार करने वाला है।
गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि बोरा की अर्जी के आगे शासन प्रशासन को घुटने नहीं टेकने चाहिए थे और इस तरह का उदाहरण उत्तराखंड में नहीं पेश होना चाहिए क्योंकि फिर इसकी पुनरावृत्ति होने से कोई रोक नहीं पाएगा और यह कभी ना खत्म होने वाला सिलसिला हो जाएगा। जैसे भाजपा के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के द्वारा 29 तारीख को जेल के बाहर महापंचायत बुलाई गई है वह भी अपने आप में हैरतअंगेज है। एक अपराधी की जगह जेल की सलाखों के पीछे होनी चाहिए और एक नाबालिग बच्ची के साथ और उसकी मां के साथ 3 साल तक दुराचार करने वाले को जिस तरह से एक शक्तिशाली और बाहुबली नेता के रूप में स्थापित किया जा रहा है वह उत्तराखंड के लिए एक बदनुमा दाग है।

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