देहरादून

धनतेरस के दिन हुई भगवान धन्वन्तरि और देवी लक्ष्मी की पूजा

देहरादून, 18 अक्टूबर। देहरादून में धनतेरस पर हनुमान चौक पर भारी जाम लगा वहीं दिवाली की खरीदारी के लिए पलटन बाजार में भी पूरे दिन भीड़ लगी रहीं। शहर के सभी बाजारों में खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी रही। लोगों ने सोने, चांदी, वाहन, इलेक्ट्रोनिक्स, फर्नीचर, इलेक्ट्रिकल्स सामानों की जमकर खरीद की। धनतेरस पर सोने, चांदी के आभूषणों और बर्तनों की खरीदारी को शुभ माना जाता है। धनतेरस पर बाज़ारों में बहुत चहल-पहल रही, जिसमें लोगों ने खूब खरीदारी की। सोने की कीमतों में वृद्धि के बावजूद, लोगों ने सोना और चांदी खरीदी, लेकिन चांदी और हीरे की मांग में वृद्धि देखी गई। इस दौरान ऑटोमोबाइल सेक्टर में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ी, और कुछ जगहों पर ऑनलाइन शॉपिंग का असर भी दिखा।  देहरादून में धनतेरस के मौके पर दोपहिया वाहनों की बिक्री ने शोरूमों को गुलजार कर दिया है। दीपों के त्योहार से पहले शहर के प्रमुख शोरूमों पर ग्राहकों की भारी भीड़ उमडी रही। सुरक्षा के लिहाज़ से, पुलिस ने प्रमुख बाज़ारों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए थे।

गुरु द्रोणाचार्य की तप स्थली द्रोण नगरी मे आज शनिवार को धन्वंतरि जयंती धनतेरस मनाई गई, जिसमें भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा की गई। इस दिन का संबंध समुद्र मंथन से है, जब भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे, और इसे अच्छे स्वास्थ्य व समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान धन्वंतरि दुनिया में चिकित्सा विज्ञान के दिव्य प्रचारक थे. पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक वैद्य समुदाय इस दिन को धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाते हैं। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज के अनुसार धनतेरस को खरीददारी का सबसे शुभ दिन माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला था। देवताओं के वैद्य धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। देवताओं के चिकित्सक और आयुर्वेद के दिव्य स्वरूप भगवान धन्वंतरि की पूजा का दिन है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। सेहत और आरोग्य के लिए इस दिन धनवंतरी की उपासना होती है। यह दिन कुबेर का दिन भी माना जाता है। धन और संपन्नता के लिए इस दिन कुबेर की भी पूजा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से ही पांच दिनों का दीपोत्सव शुरू हो जाता है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धनवतंरी का था। पुराणों में भगवान धनवंतरी के प्राकट्य की कई कथाएं मिलती हैं। कहते हैं जब समुद्र मंथन हो रहा था, तब सागर की गहराइयों से चौदह रत्न निकले थे। जब देवता और दानव मंदार पर्वत को मथनी बनाकर वासुकी नाग की मदद से समुद्र मंथन कर रहे थे, तब तेरह रत्नों के बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को चौदहवें रत्न के रूप में धनवंतरी जी सामने आए। धनवंतरी अमृत यानी जीवन का वरदान लेकर प्रकट हुए थे और आयुर्वेद के जानकार भी थे। इसलिए उन्हें आरोग्य का देवता माना जाता है भगवान धनवंतरि चतुर्भुजी हैं। भगवान विष्णु की तरह ही इनके हाथ में शंख और चक्र रहता है। दूसरे हाथ से इन्होंने अमृत कलश भी थामा है। धनवतंरी  कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रकट हुए थे। इसलिए इस तिथि को बर्तन खरीदने की परम्परा है। माना जाता है कि धनतेरस के दिन आप जितनी खरीदारी करते हैं, उसमें कईं गुणा वृद्धि हो जाती है। धनतेरस के दिन कुबेर महाराज की पूजा का भी विधान है। कुबेर महाराज को देवताओं का कोषाध्यक्ष कहा जाता है।

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