उत्तराखंड

26 अगस्त को मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी

देहरादून, 4 अप्रैल। कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। उन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है और पूरे भारत में उनकी पूजा की जाती है। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। धामिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात के समय में हुआ था। ऐसे में पूजा करने का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त की रात 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए और मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत रखने की परंपरा है। भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए जन्माष्टमी का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए जन्माष्टमी का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। इस दिन जयंती योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में जन्माष्टमी का व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। बता दें कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को कृष्ण जी के जन्म उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्हें विष्णु जी के आठवें अवतार के रूप में भी पूजा जाता है। हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह दिन श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। जन्माष्टमी के इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना की जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण के शरणागत रहने वाले जातकों को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है।
इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त की रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी। 27 अगस्त रात 2 बजकर 19 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में 26 अगस्त 2024 के दिन कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर में चौकी लगाकर कृष्ण जी के बाल रूप की प्रतिमा रखें। इस दिन उनके बाल रूप की पूजा की जाती है। बाद में सभी पूजा सामग्री को अपने पास एकत्रित कर लें। इस दौरान कृष्ण जी के समक्ष दीप जरूर जलाएं। फिर कृष्ण जन्म कथा का पाठ करते हुए उन्हें माखन का भोग लगाएं। इस दौरान भगवान से प्रार्थना करते हुए कुछ मंत्रों का भी जाप करें।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा सामग्री
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी की पूजा करने से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है। इस दौरान पूजा में धूपबत्ती, अगरबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, यज्ञोपवीत 5, कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, आभूषण, रुई, रोली को शामिल करें। इसके अलावा पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी दल, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, छोटी इलायची, लौंग मौली, इत्र की शीशी को जरूर शामिल करें। आप चाहें लाल कपड़ा, पंच रत्न, दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, बन्दनवार भी शामिल कर सकते हैं।
भगवान कृष्ण को माखन और मिश्री बहुत ही प्रिय होता था। कान्हा जी अपने बचपन में अपने सखा संग मिलकर माखन चुराया करते थे। इसी को देखते हुए भगवान कृष्ण को भोग में माखन-मिश्री का भोग लगाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि में हुआ था। इस कारण से हर एक साल जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागृह में हुआ था। पैदा होते ही रात में यमुना पार कर गोकुल ले जाया गया। तीसरे दिन राक्षसी पूतना मारने आ गई। यहां से शुरू हुआ संघर्ष देह त्यागने से पहले द्वारिका डुबोने तक रहा। कृष्ण का जीवन कहता है, आप कोई भी हों, संसार में आए हैं तो संघर्ष हमेशा रहेगा। मानव जीवन में आकर ईश्वर भी सांसारिक चुनौतियों से बच नहीं सकता। कृष्ण कहते हैं परिस्थितियों से भागो मत, उसके सामने डटकर खड़े हो जाओ। क्योंकि, कर्म करना ही मानव जीवन का पहला कर्तव्य है, हम कर्मों से ही परेशानियों को जीत सकते हैं। कृष्ण ने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की,उन्होंने हर परिस्थिति का सामना किया और विजयी रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button