उत्तराखंड

कार्तिक पूर्णिमा के दिन किस तरह से दें चंद्रमा को अर्घ्य?

देहरादून। आज पूरे देश में कार्तिक पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जाएगी। क्योंकि इस दिन देव दीपावाली ने मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है, घर में कभी भी आर्थिक कमी नहीं होती है और कर्ज एवं अधिक जैसी धन संबंधी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन होता है और श्री विष्णु की पूजा की जाती है। इसके साथ ही चंद्र देव की पूजा का विधान है क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 64 कलायों के साथ आकाश में विराजित होते हैं। इस दिन चंद्रमा को अर्ध्य देना भी काफी शुभ होता है।
– इस दिन आप एक स्टील का लोटा लें या फिर तांबे का ले सकते हैं। ध्यान रखें कि पीतल के लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य नहीं दिया जाता है। इसके बाद उस लोटे में शुद्ध जल डालें। यदि गंगाजल हो तो बेहद ही शुभ है।
– फिर आप गंगाजल या शुद्ध जल में 5 बूंद दूध की मिलाएं। जल वाले लोटे पर स्वास्तिक बनाएं और लोटे पर ऊपरी हिस्से पर कलावा बांधें। इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय अर्घ्य दें।
– जब आप चंद्रमा को अर्घ्य दें तो इससे पहले परात जमीन पर रख लें क्योंकि चंद्रमा को अर्घ्य में चढ़ाया जाने वाला जल पैरों में जमीन पर नहीं गिरना चाहिए। जब आप चंद्र को अर्घ्य दें तो जमीन पर परात रखकर ही चंद्रमा को जल चढ़ाएं।
– चंद्रमा को अर्घ्य देने के दौरान चंद्र देव के मंत्रों का जाप करें। अगर कोई मंत्र आपको याद नहीं है तो आप ‘जय चंद्रमा देव’ का बार-बार उच्चारण करते हुए जल अर्पित करें। इसके बाद आप चंद्रमा को नमक करें।
– इसके बाद आपको चंद्रमा के निमित्त घी का दीया जलाएं। चंद्रमा की आरती गाएं। परात में गिरा हुआ जल आप पीपल या फिर बरगद के पेड़ की जड़ में डाल सकते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रौशनी में खीर जरुर रखें।

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