राज्यपाल ने किया पुस्तक ‘आशा और उपचार’ का विमोचन
देहरादून 13 जुलाई। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शनिवार को एम्स, ऋषिकेश के यूरोलॉजी विभाग के तत्वावधान में यूरोलॉजिकल कैंसर विषय पर जन जागरूकता के उद्देश्य से ‘क्लोज द केयर गैप’ कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने यूरोलॉजी विभाग द्वारा यूरोलॉजिकल कैंसर के प्रति जनसामान्य को जागरूक करने के लिए लिखित पुस्तक ‘आशा और उपचार’ का विमोचन व हेल्पलाइन नंबर 8126542780 भी जारी किया एवं विभाग द्वारा कैंसर जागरूकता हेतु लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में यूरोलॉजिकल कैंसर की बीमारी को मात देकर स्वस्थ हो चुके लाभान्वितों ने बीमारी के दौरान व रोबोटिक माध्यम द्वारा सर्जरी होने के बाद मिले स्वास्थ्य लाभ के अनुभव को अन्य लोगों के समक्ष साझा किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि आज के इस कार्यक्रम में ‘होप एंड हीलिंगः अनलॉकिंग द मिस्टीरिज ऑफ यूरोलॉजिकल कैंसर्स’ पुस्तक का अनावरण भी किया जा रहा है। इस पुस्तक का अनावरण मातृभाषा हिंदी में ‘आशा और उपचारः मूत्र संबंधी कैंसरों के रहस्यों को उजागर करना’ के नाम के साथ भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में मूत्र सम्बन्धी कैंसरों के जोखिमों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है, जो निदान, उपचार और अनुसंधान में नवीनतम प्रगति का व्यापक अवलोकन प्रदान करेगी। इस क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञों द्वारा लिखित, यह पुस्तक चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, छात्रों और आम जनता के लिए भी अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। राज्यपाल ने कहा कि सरकार गांवों को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर विकसित कर रही है। करीब सवा लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर काम करना शुरू भी कर चुके हैं। देशभर में फैले इन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में करोड़ लोगों की कैंसर के लिए जांच की जा चुकी है। केंद्र सरकार देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। एक समय देश में सिर्फ 7 एम्स थे। आज ये संख्या भी बढ़कर 20 से अधिक हो गई है। सिर्फ कैंसर अस्पतालों की बात की जाय तो केंद्र सरकार ने देशभर में लगभग 40 विशेष कैंसर संस्थानों को मंजूरी दी है, जिनमें से कई अस्पतालों ने सेवाएं देना शुरू भी कर दिया है। राज्यपाल ने कहा कि हम सबका अनुभव है कि बीमारी की स्थिति में गरीबों को अपना घर या जमीन बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता था। इसलिए सरकार ने मरीजों को सस्ती दवाइयां और इलाज उपलब्ध कराने पर भी उतना ही जोर दिया है। आयुष्मान भारत ने गरीबों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी है। इसमें कैंसर के अनेक मरीज भी शामिल हैं। राज्यपाल ने कहा कि पूरे देश में जन औषधि केंद्रों का नेटवर्क है, जहां कैंसर की दवाइयां भी बहुत कम कीमत पर मिल रही हैं। कैंसर की दवाओं की कीमतों में करीब-करीब 90 प्रतिशत की कमी की गई है। देशभर में करीब 9 हज़ार जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवाइयां मिलने से गरीबों की दिक्कतें भी कम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन यह सुनिश्चित कर रहा है कि हर मरीज को समय पर और कम से कम परेशानी के साथ गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें। अब देश में मेड इन इंडिया 5जी सेवाएं शुरू की जा रही हैं, इससे सुदूर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्रांति आएगी। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि कैंसर से डरने की नहीं, उससे लड़ने की ज़रूरत है। इसका इलाज संभव है। समय पर पहचान और समय पर इलाज ही इस रोग का समाधान हैं। राज्यपाल ने कहा कि हमारे यहां हमेशा से कहा जाता रहा है कि बीमारी से बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है। इसी सोच के साथ देश में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर इतना जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब हम रोकथाम के लिए काम करेंगे तो बीमारियां भी कम होंगी। राज्यपाल ने डाक्टर्स से विशेष आग्रह करते हुए कहा कि हमें कैंसर से होने वाले डिप्रेशन से लड़ने में मरीजों और उनके परिवारों की मदद करनी है। राज्यपाल ने कार्यक्रम में उपस्थित जनों और हेल्थकेयर से जुड़े साथियों से कैंसर के प्रति जन जागरूकता फैलाने हेतु आग्रह किया। इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने लोगों से आह्वान किया कि वह अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और नियमित तौर पर अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराते रहें। किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण नजर आने पर शीघ्रता से विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें। उन्होंने बताया कि मूत्र रोग से संबंधित समस्याओं को बताने में लोग अक्सर संकोच करते हैं, इससे बीमारी और ज्यादा बढ़ती है लिहाजा हमें बीमारियों को लेकर संकोच को छोड़ना होगा तभी हम स्वस्थ रह सकते हैं। कार्यक्रम में संस्थान के बीएससी नर्सिंग की छात्राओं द्वारा प्रोस्टेट कैंसर की जानकारी एवं इलाज के लिए नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजन सचिव व यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल ने यूरोलॉजिकल कैंसर के लक्षणों, इलाज व सावधानियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभाग इस बीमारी के जड़मूल के लिए सततरूप से कार्य कर रहा है और अब तक विभाग में मूत्र रोग से जुड़े 500 से अधिक रोबोटिक सर्जरी सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं। कार्यक्रम में टेलीमेडिसिन सोसाइटी ऑफ इंडिया के सचिव डॉ. एस. उमाशंकर, डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल, एम्स ऋषिकेश के शिक्षक, विद्यार्थी आदि उपस्थित थे।