उत्तराखंड

राज्यपाल ने किया समागम का शुभारंभ

हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में शनिवार को सिक्ख समाज एवं सनातन संस्कृति का विशिष्ट समागम हुआ। वहीं शांतिकुंज पहुंचे श्रद्धास्पद निहंग समाज के प्रतिनिधियों ने अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेया शैलदीदी से भेंट की। निहंग समाज के प्रतिनिधियों ने शांतिकुंज में पाँच कुण्डीय यज्ञ किया और शांतिकुंज से हरिपुर कलॉ होते हुए देसंविवि के लिए झूमते-गाते हुए भव्य रैली निकाली। समागम का शुभारंभ राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या एवं फकीर सिंह खालसा के आठवें वंशज निहंग समाज के प्रतिनिधि बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने किया। समागम के अध्यक्षीय उद्बोधन में माननीय राज्यपाल ले.ज. (से.नि.) श्री गुरमीत सिंह ने कहा कि गायत्री परिवार व निहंग समाज का यह मिलन एक आध्यात्मिक संगम हैै। यह नई पीढ़ी में साहस, शौर्य और पराक्रम जगाने का समागम है। यह समागम देश, राष्ट्र के लिए एक मिसाल बनेगा और राष्ट्र निर्माण की एक नई धारा बहेगी। राज्यपाल ने कहा कि मानवता और भाईचारा के लिए भगवान शिव और गुरुगोविन्द सिंह ने जो संदेश दिया, वह एक समान है। उन्होंने कहा कि आज यहाँ दो भाइयों का मिलन हुआ। यह मिलन समाज निर्माण के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि सद्गुरु की कृपा से जन्म जन्मांतरों का कुकर्म का नाश होता है। भारत को अक्षुण्य बनाये रखने में सिक्ख सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि यह समय सावधान होने का है। कबीर, गुरु गोविन्द सिंह, पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, स्वामी विवेकानंद आदि जैसे गुरुओं ने इंसान को इंसान बनाने के लिए ज्ञान की गंगा बहायी है। प्रतिकुलपति ने कहा कि सिक्ख और सनातन का मिलन साहस, शौर्य, पराक्रम और पवित्रता, प्रखरता, संवेदना का मिलन है। फकीर सिंह खालसा के आठवें वंशज निहंग समाज के प्रतिनिधि बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने कहा कि आज जो संबंध स्थापित हुए हैं, यह हम दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है। सिक्ख और सनातन के संबंध अटूट है, जो आपसी भाईचारा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार का सहजता, पवित्रता और अनुशासन नये युग के आगमन का शुभ संकेत है। इससे पूर्व राज्यपाल गुरमीत सिंह ने देश की सुरक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सैनिकों की याद में बने शौर्य दीवार में पुष्पांजलि अर्पित की और सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को नमन किया। समापन से पूर्व राज्यपाल जी ने प्रज्ञागीतों का (कुमांउनी), ई न्यूज लेटर रिनांसा, धन्वंतरी पत्रिका, संंस्कृति संचार आदि का विमोचन किया। देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने माननीय राज्यपाल को स्मृति चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर अयोध्या राम मंदिर लंगर वाले के प्रमुख जत्थेदार और निहंग समाज के प्रतिनिधियों, देवसंस्कृति विवि और विभिन्न राज्यों से आये गायत्री साधक उपस्थित रहें।

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