उत्तराखंड

गणेश उत्सव: गाजे-बाजे के साथ पंडालों में विराजे विघ्नहर्ता

देहरादून। राजधानी देहरादून आज गणपति बप्पा मोरिया के भजन और जयकारों से गूंज उठी। आज घरों और पंडालों में गजानन विराजें। इसके साथ ही गणपति महोत्सव की शुरुआत हो गई। 11.03 बजे से भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति की स्थापना होनी शुरू हुई। बप्पा के स्वागत के लिए पंडाल भव्य रूप से सजाए गए थे। भगवान गणपति का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, चित्रा नक्षत्र और मध्याह्र काल में हुआ था। सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है और हिंदू देवी-देवताओं में सबसे प्रसिद्ध और ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं। भगवान गणेश के कई नाम हैं जैसे गणपित, लंबोदर, विनायक, गजानन सुखकर्ता और विन्घहर्ता आदि। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान गणेश की पूजा और स्थापना के लिए मध्याह्र काल सबसे अच्छा होता है। गणेश उत्सव का पर्व 10 दिनों तक चलेगा और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित करके विदाई दी जाएगी।
राजधानी गणेश चतुर्थी उत्सव के रंग में रंग गई है। राजधानी में श्रद्धालुओं ने पंडालों और घरों को गणेश चतुर्थी के लिए सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज घरों में सुबह से ही गजानन को विराजा गया। मंत्रोच्चारण के बीच गजानन की पूजा अर्चना की गई। गणेशोत्सव से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। गणपति की मूर्ति की स्थापना के साथ ही गणेश उत्सव का शुभारंभ हो गया। गणेश उत्सव की धूम खासतौर पर पंडालों में देखने को मिली। गणेश उत्सव के लिये अनेक इलाकों में विशाल और आकर्षक पंडालों की सजावट की गई थी। इन पंडालों में गणपति की मूर्तियों को विशेष रूप से सजाया गया है और श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए भव्य स्वागत द्वार तैयार किए गए थे। वहीं रंग-बिरंगे फूल, विद्युत सजावट और अन्य आकर्षक सजावट सामग्री से घरों को सजाया गया था। गणपति की मूर्तियां विभिन्न आकारों और रूपों में घरों में स्थापित की गई। इस पावन अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की गई और पारंपरिक मिठाई, लड्डू आदि का भोग लगाया गया।
गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों के अनुसार इसी दिन रिद्धि सिद्धि के दाता, विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। प्रत्येक शुभ और मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम गणेश जी को पूजा जाता हैं। गणेश जी को प्रथम पूज्य देव कहा गया है। श्री गणेश जी सुख समृद्धि दाता भी है। इनकी कृपा से परिवार पर आने वाले संकट और विध्न दूर हो जाते हैं। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुँचते है। नौ दिन बाद गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब, महासागर इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है। गणेशजी को लंबोदर के नाम से भी जाना जाता है।

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