उत्तराखंड

भूस्खलन ट्रीटमेंट की सही तकनीक से रूबरू हुए इंजीनियर

देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की ओर से राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा प्रायोजित भू-स्खलन जोखिम न्यूनीकरण योजना के तहत उत्तराखण्ड में भू-स्खलन न्यूनीकरण तथा जोखिम प्रबन्धन पर आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन आपदा प्रबन्धन विभाग के विशेषज्ञों के साथ लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग तथा अन्य विभागों के अधिकारियों ने मसूरी स्थित कैम्पटी तथा ग्लोगी में चल रहे भूस्खलन ट्रीटमेंट के कार्यों को मौके पर जाकर देखा। कैम्पटी तथा ग्लोगी में एनडीएमए द्वारा प्रायोजित भू-स्खलन जोखिम न्यूनीकरण परियोजना के अन्तर्गत कार्य किया जा रहा है। इस दौरान लोकेश सारस्वत, अधिशासी अभियन्ता, लोक निर्माण विभाग, थत्यूड़ ने कैम्प्टी में चल रहे भूस्खलन ट्रीटमेंट संबंधी कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यहां पहाड़ी ढाल पर पानी के प्रवाह को व्यवस्थित करने के लिए सीढ़ीदार नालियां बनाई गई हैं तथा ढलान पर तार की जाली लगाकर भूस्खलन क्षेत्र का स्थायी समाधान किया गया है। उन्होंने बताया कि यहां भूस्खलन ट्रीटमेंट के परिणाम बेहद कारगर और सफल रहे हैं। विभिन्न विभाग जिनकी भूस्खलन प्रबंधन में अहम भूमिका रहती है, उन्हें इन दोनों साइटों में इस्तेमाल हो रही तकनीक की जानकारी दी गई। सेल्फ ड्रिलिंग एंकर किस तरीके से इंस्टॉल किए जाते हैं, इसके बारे में बताया गया। ग्राउटिंग करने की सही तकनीक से भी प्रतिभागी रूबरू हुए। इस दौरान विशेषज्ञों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने इन दोनों साइटों में प्रयोग की गई तकनीक तथा अनुभवों को साझा किया ताकि राज्य के अन्य भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में इसका लाभ मिल सके। इस दौरान सिंचाई विभाग एई सुरेश तिवारी, दीपक जोशी, आरडब्ल्यूडी के एई उत्तम सिंह, सहायक अभियन्ता, यूएसडीएमए के विशेषज्ञ तंद्रीला सरकार, भूवैज्ञानिक, जेसिका टेरॉन, उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र के सहायक अभियन्ता श्री सार्थक चौधरी, अमित गैरोला, सुखचैन, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण से दीपाली जिन्दल तथा बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के कर्नल प्रदीप शर्मा आदि भी मौजूद रहे।

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