नवरत्न संस्थानों के कार्यालयों का लगातार पलायन गम्भीर चिंता का विषय
देहरादून 14 मई। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तराखण्ड राज्य में स्थापित भारत सरकार के नवरत्न संस्थानों के कार्यालयों के लगातार पलायन करने पर चिंता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री धामी से इन संस्थानों की निर्माणाधीन परियोजनाओं को पूरा करने हेतु भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय एवं जल शक्ति मंत्रालय से स्वीकृति प्राप्त करने की मांग की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण उत्तराखण्ड राज्य में स्थापित भारत सरकार के नवरत्न संस्थानों के कार्यालयों का लगातार पलायन गम्भीर चिंता का विषय है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि एक ओर जहां राज्य सरकार नये औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिए 6000 करोड़ एकड जमीन चिन्हित करने की बात कर रही है वहीं पूर्व से स्थापित भारत सरकार के नवरत्न संस्थान केन्द्र व राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण पलायन को मजबूर हैं। भारत सरकार के नवरत्न संस्थानों के पलायन के कारण उन के माध्यम से रोजगार प्राप्त कर रहे हजारों लोगों के रोजगार पर संकट खड़ा हो गया है वहीं उद्योग जगत में उत्तराखण्ड राज्य की छबि भी धूमिल हो रही है। राज्य में विगत समय में करोड़ों रूपये खर्च कर आयोजित दो वैश्विक निवेशक सम्मेलनों में हुए तथाकथित एमओयू का धरातल पर उतरना तो दूर उसके लिए जमीन भी उपलब्ध नहीं हो पाई है। अच्छा होता यदि राज्य सरकार पहले औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए जमीन चिन्हित करती तथा उसके बाद इस प्रकार के वैश्विक निवेशक सम्मेलन आयोजित किये जाते तो राज्य की जनता को विश्वास होता परन्तु राज्य सरकार ने एकबार फिर प्रदेश की जनता की गाढी कमाई के टैक्स के अरबों रूपये खर्च कर वैश्विक निवेशक सम्मेलन तो आयोजित कर दिये परन्तु वह धरती पर उतर पायेंगे इस पर संदेह है। करन माहरा ने कहा कि एक ओर जहां विद्युत प्रदेश होने के बावजूद राज्य सरकार प्रदेश की आम जनता पर लगातार बिजली की दरें बढाकर आर्थिक बोझ डालती जा रही है वहीं प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद राज्य सरकार की शिथिलता के चलते एसजेवीएनएल, एनटीपीसी, एनएचपीसी जैसे भारत सरकार के नवरत्न संस्थानों के करोड़ों रूपये की परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं, परन्तु राज्य सरकार के स्तर से रूकी हुई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। यदि भारत सरकार के संस्थान इसी प्रकार पलायन करते रहे तो विद्युत उत्पादक राज्य के नाम से जाना जाने वाला उत्तराखण्ड राज्य अपनी वास्तविक पहचान खो सकता है। करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग करते हुए कहा कि राज्य के व्यापक हित में भारत सरकार के नवरत्न संस्थानों को पलायन करने से रोकने के लिए केन्द्र सरकार से निर्माणाधीन परियोजनाओं को पूर्ण करने हेतु भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय एवं जल शक्ति मंत्रालय की अनुमति हेतु यथाशीघ्र प्रयास किया जाना चाहिए।