उत्तराखंडदेहरादून

बुद्ध पूर्णिमा स्नान : गंगा में आस्था की डुबकी

देहरादून। आज बुद्ध पूर्णिमा स्नान पर्व के पावन अवसर पर धर्मनगरी हरिद्वार में श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान कर पूजन करने से असीम पुण्य का लाभ मिलता है। स्नान करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे। गंगा स्नान करने के लिए आज सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरकी पैड़ी पहुंच रहे थे और गंगा स्नान कर पूजन कर रहे थे। मान्यता है कि आज ही के दिन बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। आज ही बुद्ध का महानिर्वाण भी हुआ था। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन भगवान कृष्ण ने सुदामा को विनायक उपवास रखने का महत्व बताया था और भगवान ने नृसिंह अवतार लिया था। बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान कर पूजन करने से असीम पुण्य का लाभ मिलता है। वैशाख में शुक्ल पक्ष की पूर्णमासी के दिन बुद्धावतार इस धरती पर अवतरित हुए थे और आज ही उनको बुद्धत्व यानी ज्ञान प्राप्ति हुई और आज ही के दिन उनका शरीर पूर्ण हुआ था। इस कारण से बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए भी पर्व खास है। आज के दिन सबसे अधिक महत्व गंगा स्नान का बताया गया है और दान पुण्य करने से हर मनोरथ पूरे होते हैं। आज के दिन स्नान मात्र से कई दोषों से मुक्ति मिल जाती है। हरिद्वार गंगा स्नान करने आए श्रद्धालुओं का कहना है कि गंगा स्नान का वैसे ही महत्व है, लेकिन बुद्ध पूर्णिमा पर स्नान करने से असीम पुण्य का लाभ मिलता है। गंगा स्नान करने से कष्ट दूर होते हैं और पाप नष्ट होते हैं।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। ५६३ ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी, शाक्य राज्य (आज का नेपाल) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही ४८३ ई. पू. में ८० वर्ष की आयु में ‘कुशनारा’ में में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। वर्तमान समय का कुशीनगर ही उस समय ‘कुशनारा’ था। इस दिन भारत के सरकारी कार्यालयों में अवकाश रहता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button